बचपन
बचपन की वह शाम मधुर सपनो में खेला करते थे थी किसे खबर है रात निकट बेखौफ ठिठोला करते थे लेकिन डूबी यह संध्या भी…
बचपन की वह शाम मधुर सपनो में खेला करते थे थी किसे खबर है रात निकट बेखौफ ठिठोला करते थे लेकिन डूबी यह संध्या भी…
इस समंदर मे इक लहर आने तो दो इस थमी हवा मे इक हलचल होने तो दो दिल की धड़कने गुनगुनाने लगी है कब से…
…जब देश के महामहिम एक विदेशी अतिथि के सामने अपने देश के वैभव-सम्पन्नता का दिखावा कर रहे होंगे तब विदर्भ का एक किसान आत्म-हत्या करने के लिए अपने गले में रस्सी डाल रहा होगा…
…उठ खड़े हुए शूरवीर
तितर बितर थे उनके धीर…
… मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था ,अब लगता है कि मुझे भी नशीले पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए …
…Glass , ceramics और amorphous ,
रोज वही क्यों , अब करो भी बस…
…इस युगों-युगों पुरानी
अपनी कर्मभूमि को छोड़ रहा…
कैसे कहूँ मुबारक
सर झुका है मेरा…
…इंसान दो तरह से ज्ञान हासिल करता है, पहला व्यावहारिक और दूसरा सैद्धांतिक (अनुमानित) | या स्पष्ट शब्दों में “जान कर” अथवा “मान कर” | जानने और मानने में बहुत फर्क है और इन दोनों के बीच “समझ” का विशाल पहाड़ होता है…
सदियों पुरानी हमारी भारतीय संस्कृति की यह अनोखी विशेषता रही है कि हमारी परंपराओं एवं जीवनशैली पर भाषाओं ने अमिट छाप छोड़ी है | भाषाओं…