प्रथम पहल…

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सदियों पुरानी हमारी भारतीय संस्कृति की यह अनोखी विशेषता रही है कि हमारी परंपराओं एवं जीवनशैली पर भाषाओं ने अमिट छाप छोड़ी है | भाषाओं तथा परंपराओं का यह अटूट बंधन उतना ही प्राचीन है जितनी इस धरती पर जीवोत्पत्ति की अवधारणा | भाषाओं के प्रति विद्वानों से लेकर आमजन तक के असीम लगाव के उदाहरण हमें अनंतकाल से हमारी सभ्यता में दिखते आए  हैं  जिनमें मुख्यतः संस्कृत, हिंदी, मैथिली, उर्दू, तमिल आदि भाषाएँ शामिल हैं | किंतु देश में उठी वैश्वीकरण की बयार ने ना सिर्फ हमारी संस्कृति की जड़ें हिला दीं बल्कि हमारी अनमोल भाषाओं पर धूल की परतें भी चढ़ा दीं | ऐसे में समय की यह मांग है कि हम सिर्फ वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के प्रभाव में बेसुधों की तरह पाश्चात्य संस्कृति की ओर तेज़ी से कदम ही ना बढ़ाएं बल्कि अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें एवं भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति को लोकप्रिय व समृद्ध बनाये रखें |

इन्ही कोशिशों की कड़ी में एक छोटे से प्रयास का सृजन अस्सी के दशक में प्रोफ़ेसर. जौहरी एवं अन्य प्राध्यापकों द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास में हिंदी मित्र मंडल की स्थापना के माध्यम से किया गया था | हिंदी मित्र मंडल की तीस वर्षों की यात्रा में अनेक विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों का बहुमूल्य योगदान रहा है जिनमें प्रोफ़ेसर जौहरी (गणितशास्त्र), प्रोफ़ेसर निगम (गणितशास्त्र), प्रोफ़ेसर मेघा सिंह (अप्लाईड मैकेनिक्स) , प्रोफ़ेसर कोठियाल (भौतिक विज्ञान), प्रोफ़ेसर श्रीश चौधरी (मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान) आदि प्रमुख रहें हैं |

पिछले कुछ वर्षों से निष्क्रिय रही इस समिति की गतिविधियों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से हिंदी मित्र मंडल की पहली आम सभा ३ फ़रवरी २०१२ को रखी गयी | सभा की शुरुआत प्रोफ़ेसर कोठियाल एवं प्रोफ़ेसर श्रीश चौधरी ने हिंदी मित्र मंडल के ३ दशक पुराने इतिहास से की एवं सदस्यों को समिति की पुरानी गतिविधियों से अवगत कराया जिनमें होली, दिवाली सरीखे उत्सवों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, चलचित्र दिवस आदि विशेष रूप से लोकप्रिय थे | समिति की कार्यवाही आगे बढ़ाते हुए अध्यक्ष (प्रोफ़ेसर रमाशंकर वर्मा), उपाध्यक्ष (प्रोफ़ेसर महावीर कुमार जैन) एवं आयोजन समिति के सदस्यों का चयन किया गया | तत्पश्चात ऊर्जावान छात्रों ने होली के उपलक्ष्य में रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तावित किये जिनमें होलिका दहन, नुक्कड़ नाटक, हास्य कवि सम्मेलन तथा अन्ताक्षरी प्रमुख हैं | सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया  कि अगली सभा में वार्षिक तालिका (कैलेण्डर) तैयार किया जायेगा एवं बजट पारित होगा |

सभा के उपरांत संस्थान की प्रख्यात पत्रिका फिफ्थ एस्टेट को दिए गए साक्षात्कार में सभी प्राध्यापकों का एक ही मत था कि संस्थान में सभी प्रमुख त्योहारों को जोश,उत्साह एवं सद्भावना के साथ मनाया जाये तथा हिंदी भाषा सम्बंधित साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले | प्रोफ़ेसर कोठियाल के शब्दों में-हिंदी मित्र मंडल आपसी भाईचारे एवं मेल-मिलाप के लिए अति उत्तम मंच है | प्रोफ़ेसर श्रीश चौधरी ने विद्यार्थियों को सन्देश देते हुए कहा कि हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार स्वेच्छापूर्वक होना चाहिए ना कि बलपूर्वक | ऐसे में तमिलनाडू में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का प्रयास सराहनीय है | वहीँ दूसरी तरफ समिति अध्यक्ष प्रोफ़ेसर रमाशंकर वर्मा, जो कि पिछले कई वर्षों से हिंदी मंच  से जुड़े हैं, का कहना है कि समय के साथ प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों के बीच टूटती हुई कड़ियों को जोड़ने में यह मंच सहायक सिद्ध होगा | समिति उपाध्यक्ष प्रोफ़ेसर महावीर जैन की कामना है कि इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को अपनी साहित्यिक प्रतिभा दिखने का सुअवसर मिले | सभा का अंत इस घोषणा के साथ हुआ कि अगली सभा क्विज़ १ के बाद रखी जायेगी |

हिंदी मित्र मंडल की सदस्यता के इच्छुक छात्रगण अधिक जानकारी हेतु निम्नलिखित छात्रों से संपर्क करें :

शशि कृष्णा (7200497406)

राजश्री (9840837430)

अतुलित (9962086471)

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